WHATSAPPWISH.COM

Show your loved ones that you wish them well

New Updated Status

जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं मैं नाय ।
प्रेम गली अति साँकरी, ता में दो न समाय ।।

जब मेरे अंदर मैं (अहंकार) था तब परमात्मा नहीं था, अब परमात्मा है तो अहंकार मिट गया यानी परमात्मा के दर्शन से अहंकार मिट जाता है ।

Kabir Ke Dohe
Shared 261 Times Today
दया भाव हृदय नहीं, ज्ञान थके बेहद ।
ते नर नरक ही जाएंगे, सुनी-सुनी साखी शब्द ।।

जिसके हृदय के अंदर दया तो लेशमात्र नहीं और वह ज्ञान की बातें खूब बनाते हैं वे आदमी चाहे जितनी साखी (भगवान की कथा) क्यों न सुने उन्हें नरक ही मिलेगा ।

Kabir Ke Dohe
Shared 133 Times Today
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
फूटी आँख विवेक की, लखे ना सन्त-असन्त ।
जाके संग दस-बीस हैं, ताको नाम महन्त ।।

जिसकी ज्ञान रूपी आँखें फूटी हुई हैं वह सन्त-असन्त को कैसे पहचाने ? उनकी यह स्थिति है कि जिसके साथ दस-बीस चेले देखें उसी को महन्त समझ लिया ।

Kabir Ke Dohe
Shared 326 Times Today
जब लगि भगति सकाम है, तब लग निष्फल सेव ।
कह कबीर वह क्यों मिले, निष्कामी तज देव ।।

जब तक भक्ति इच्छा सहित है तब तक परमात्मा की सेवा व्यर्थ है । अर्थात भक्ति बिना कामनाओं के करनी चाहिए । कबीरदास जी कहते हैं कि जब तक इच्छाओं से रहित भक्ति न हो तब तक परमात्मा कैसे मिल सकता है ? अर्थात नहीं मिल सकता ।

Kabir Ke Dohe
Shared 344 Times Today
बानी से पहचानिए, साम चोर की धात ।
अंदर की करनी से सब, निकले मुँह की बात ।।

सज्जन और दुष्ट को उसकी बातों से पहचाना जाता है क्योंकि उसके अंदर का सारा वर्णन उसके मुँह द्वारा पता चलता है । व्यक्ति जैसे कर्म करता है उसी के अनुसार उसका व्यवहार बनता है।

Kabir Ke Dohe
Shared 259 Times Today
दिल का मरहम ना मिला, जो मिला सो गर्जी ।
कह कबीर आसमान फटा, क्योंकर सीवे दर्जी ।।

लोगों का स्वार्थ देखकर मनरूपी आकाश फट गया । उसे दर्जी क्योंकर सी सकता है! वह तो तब ही ठीक हो सकता है जब कोई हृदय का मर्म जानने वाला मिले ।

Kabir Ke Dohe
Shared 233 Times Today
जल ज्यों प्यारा माहरी, लोभी प्यारा दाम ।
माता प्यारा बारका, भगति प्यारा नाम ।।

जैसे मछ्ली को पानी प्यारा लगता है, लोभी को धन प्यारा लगता है, माता को पुत्र प्यारा लगता है वैसे ही भक्त को भगवान प्यारे लगते है ।

Kabir Ke Dohe
Shared 199 Times Today
जब लग नाता जगत का, तब लग भागिति न होय ।
नाता जोड़े हरि भजे, भगत कहावें सोय ।।

कबीरदास जी कहते हैं कि जब तक संसार का संबंध है यानी मन सांसारिक वस्तुओं में आसक्त है तब तक भक्ति नहीं हो सकती जो संसार का संबंध तोड़ दे और भगवान का भजन करे, वही भक्त होते हैं ।

Kabir Ke Dohe
Shared 143 Times Today
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
आहार करे मन भावता, इंदी किए स्वाद ।
नाक तलक पूरन भरे, तो का कहिए प्रसाद ।।

जो मनुष्य इंद्रियों के स्वाद के लिए पूर्ण नाक तक भरकर खाये तो प्रसाद कहाँ रहा ? तात्पर्य यह है कि भोजन या आहार शरीर की रक्षा के लिए सोच समझकर करें तभी वह उत्तम होगा । अर्थात सांसारिक भोग उपभोग ईश्वर का प्रसाद समझकर ग्रहण करें ।

Kabir Ke Dohe
Shared 256 Times Today
नहीं शीतल है चंद्रमा, हिंम नहीं शीतल होय ।
कबीरा शीतल सन्त जन, नाम सनेही सोय ।।

कबीर जी कहते है कि न तो शीतलता चंद्रमा में है न ही शीतलता बर्फ में है वही सज्जन शीतल हैं जो परमात्मा के प्यारे हैं अर्थात वास्तविकता मन की शांति ईश्वर-नाम में है ।

Kabir Ke Dohe
Shared 143 Times Today

Total Files (3018) Page 103 of 302

All Category's (177)

A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z ALL
Nasa Quotes (8) Quotes By Neil Armstrong (8) Audience Engagement Quotes (9) Advertising Quotes (8) Quotes By Jennifer Lopez (12) Quotes By Donald Trump (6) Happy Raksha Bandhan Wishes (10) Quotes By Abraham Lincoln (12) Sankranti Wishes (10) Mantras For Obstacle (7)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT