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“The greatest religion is to be true to your own nature. Have faith in yourselves.” ― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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“The great secret of true success, of true happiness, is this: the man or woman who asks for no return, the perfectly unselfish person, is the most successful.”
― Swami Vivekananda
― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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“In a day, when you don't come across any problems - you can be sure that you are travelling in a wrong path” ― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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“In a conflict between the heart and the brain, follow your heart. ” ― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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“You have to grow from the inside out. None can teach you,
none can make you spiritual.
There is no other teacher but your own soul.”
― Swami Vivekananda
none can make you spiritual.
There is no other teacher but your own soul.”
― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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“Take up one idea. Make that one idea your life; dream of it; think of it; live on that idea. Let the brain, the body, muscles, nerves, every part of your body be full of that idea, and just leave every other idea alone. This is the way to success, and this is the way great spiritual giants are produced.” ― Swami Vivekananda
Quotes By Swami Vivekananda
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फुटो आँख विवेक की, लखें न संत असंत ।
जिसके संग दस बीच है, ताको नाम महन्त ।।
जिसके ज्ञान रूपी नैन नष्ट हो गए हैं वह सज्जन और दुर्जन का अंतर नहीं बता सकता है और सांसारिक मनुष्य जिसके साथ दस-बीस चेले देख लेता है वह उसको ही महन्त समझा करता है ।
जिसके संग दस बीच है, ताको नाम महन्त ।।
जिसके ज्ञान रूपी नैन नष्ट हो गए हैं वह सज्जन और दुर्जन का अंतर नहीं बता सकता है और सांसारिक मनुष्य जिसके साथ दस-बीस चेले देख लेता है वह उसको ही महन्त समझा करता है ।
Kabir Ke Dohe
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बूँद पड़ी जो समुद्र में, ताहि जाने सब कोय ।
समुद्र समाना बूँद में, बूझै बिरला कोय ।।
यह तो सम्पूर्ण जीव जानते हैं कि समुद्र में पड़ी बूंदे उसमें समा जाती हैं, किन्तु यह विवेकी ही जानता है कि किस प्रकार मन रूपी समुद्र में बिंदुरूपी जीवात्मा परमात्मा में लीन हो जाते है ।
समुद्र समाना बूँद में, बूझै बिरला कोय ।।
यह तो सम्पूर्ण जीव जानते हैं कि समुद्र में पड़ी बूंदे उसमें समा जाती हैं, किन्तु यह विवेकी ही जानता है कि किस प्रकार मन रूपी समुद्र में बिंदुरूपी जीवात्मा परमात्मा में लीन हो जाते है ।
Kabir Ke Dohe
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माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मनका डार दे, मनका मनका फेर ।।
माला फेरते-फेरते युग व्यतीत हो गया, परंतु जीव के हृदय में कोई नवीन परिवर्तन नहीं हुआ । कबीरदास जी कहते हैं कि हे जीव, मैंने माला के रूप में ईश की बहुत दिनों तक आराधना कर ली और अब इस आराधना को छोड़कर हृदय से भगवान की थोड़े समय तक आराधना कर ।
कर का मनका डार दे, मनका मनका फेर ।।
माला फेरते-फेरते युग व्यतीत हो गया, परंतु जीव के हृदय में कोई नवीन परिवर्तन नहीं हुआ । कबीरदास जी कहते हैं कि हे जीव, मैंने माला के रूप में ईश की बहुत दिनों तक आराधना कर ली और अब इस आराधना को छोड़कर हृदय से भगवान की थोड़े समय तक आराधना कर ।
Kabir Ke Dohe
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मूँड़ मुड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय ।
बार-बार के मूड़ते, भेड़ न बैकुण्ठ जाय ।।
कबीरदास जी कहते हैं कि सिर के बाल कटवाने से यदि भगवान प्राप्त हो जाए तो सब कोई सिर के बाल कटवा कर भगवान को प्राप्त कर ले । जिस प्रकार भेड़ का तमाम शरीर कई बार मूड़ा जाता है तब भी वह बैकुण्ठ को नहीं प्राप्त कर सकता है ।
बार-बार के मूड़ते, भेड़ न बैकुण्ठ जाय ।।
कबीरदास जी कहते हैं कि सिर के बाल कटवाने से यदि भगवान प्राप्त हो जाए तो सब कोई सिर के बाल कटवा कर भगवान को प्राप्त कर ले । जिस प्रकार भेड़ का तमाम शरीर कई बार मूड़ा जाता है तब भी वह बैकुण्ठ को नहीं प्राप्त कर सकता है ।
Kabir Ke Dohe
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